युवा है तो वायु बन,
जीत जा जीवन का रण ।
बेशक जोश से तू कम कर ,
पर स्व-विवेक का भी तो ध्यान रख ।
स्वार्थियों का बनना न तू मोहरा ,
न करना चरित्र अपना दोहरा ।
स्वतंत्र इच्छा तेरा अधिकार है पर ध्यान रख,
पुरूषार्थ का भी तुझ पर सम्यक अधिकार है ।
अवरोधों को तू पार कर ,
युवा होकर न इंतजार कर ।
हार मान लेना जवानी की शोभा नहीं ,
भाग्य रेख हेतु तू कभी रोना नहीं ।
भाग्य तो उनका भी होता है ,
जिनका न हाथ न पैर होता है ।
कर जोश, शक्ति, साहस, बुद्धि, दया प्रयोग,
जिससे हो सके तेरी जवानी का सदुपयोग ।
अपने आत्म विश्वास और गौरव को जगा ले,
दृढ़ इच्छाशक्ति से तू खुद का सौभाग्य बना ले ।
अलंघनीय अर्गला को तू पार कर ,
अब अपने व देश के जीवन का उद्धार कर ॥
प्रस्तुतकर्ता:अभिजात काण्डपाल 'निडर'
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