है यह जघन्य अपराध नहीं
तो इससे बड़ा गुनाह तुम क्या लोगे!!आज भी रहे मौन अगर तो
अपने अंतर्मन से क्या कहोगे??
आज भी जगे नहीं तो अपने स्वप्न नगर का क्या करोगे??
यहाँ एक नहीं ..कई मिटी हैं
कई दामिनी शर्मसार हुई हैं
अपनी राहों पर बढ़ते हुए
कई चीखें दबी हुई हैं
कब तक ..
आखिर कब तक ..
स्त्री ही समाज की नियंता की मार सहे
जो देती है जनम , एक नया जीवन
आखिर कब तक अपमान का घूट पिए
क्या नारी होकर स्वप्न देखना अभिशाप है ..
या नारी होना ही खुद मे कोई पाप है !!
आवाजे उठती तो हैं..
पर समय के आगे बढ़ते ही ..
शांत हो जाती हैं सभी
अपनी कुर्सी पर बैठे ये नेता ..
वादे तो कई करते हैं इन्साफ के
पर चिंगारी के शांत होने तक ..
जागिये अब तो जागिये ..
चिंगारी ही नहीं ..
जरुरत है एक आग की ..एक जूनून की ..
जो टिके रहे अपने उसूलो पर
जो अडिग रहे अपने इरादो पर
क्योंकि ..आज ही नहीं
अनंतकाल से चल रहा है यह
बस स्त्री ने ही
खुद की जाती से कष्ट पाया है
मात्र उसी को देनी पड़ी है
हर युग मे ..
अग्नि परीक्षा ...
प्रस्तुतकर्ता: भावना जोशी
अपनी राहों पर बढ़ते हुए कई चीखें दबी हुई हैं कब तक .. आखिर कब तक .. स्त्री ही समाज की नियंता की मार सहे जो देती है जनम , एक नया जीवन आखिर कब तक अपमान का घूट पिए क्या नारी होकर स्वप्न देखना अभिशाप है .. या नारी होना ही खुद मे कोई पाप है !! आवाजे उठती तो हैं.. पर समय के आगे बढ़ते ही .. शांत हो जाती हैं सभी अपनी कुर्सी पर बैठे ये नेता .. वादे तो कई करते हैं इन्साफ के पर चिंगारी के शांत होने तक .. जागिये अब तो जागिये .. चिंगारी ही नहीं .. जरुरत है एक आग की ..एक जूनून की .. जो टिके रहे अपने उसूलो पर जो अडिग रहे अपने इरादो पर क्योंकि ..आज ही नहीं अनंतकाल से चल रहा है यह बस स्त्री ने ही खुद की जाती से कष्ट पाया है मात्र उसी को देनी पड़ी है हर युग मे .. अग्नि परीक्षा ...
प्रस्तुतकर्ता: भावना जोशी
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